Tuesday, December 4, 2012

Ek Gazal

चाँद नज़रें नहीं मिलाता,मुझसे मुंह छुपाने लगा है,
बादल भी कुछ दिनों से,गीत जुदाई के गाने लगा है,

रोज़ एक कतरा, खुद का , कहीं खो सा देता हूँ मैं ,
वो जो मुझमें रहता था, मुझे छोड़ के जाने लगा है,

कुछ रोज़ से ये आसमां भी देखो, धुँआ धुँआ सा है
लगता है कहीं कोई , मेरे खतों को जलाने लगा है,


एकांत में वो शांत जगह , जहाँ हम साथ बैठते थे,
शोर रहता है , वहां से हर कोई आने-जाने लगा है,

मैं तो उसकी रुसवाई का, मातम भी न मना पाया ,
वो फिर नया सा बनके, नए सपने सजाने लगा है,

रहा नहीं कुछ वास्ता, इंसान का सच और वफ़ा से,
खुदा भी कैसे कैसे लोग और ज़माने बनाने लगा है, !!

Tuesday, July 17, 2012



This poem is dedicated to someone. And last stanza is for the delay
I caused.

Wednesday, July 13, 2011

रूठ जाती है...


ये प्रेम की डोरी बड़ी नाज़ुक है,
संभालना,,, थोड़े में टूट जाती है,
मुझे मालूम है क्यूंकि, वो कोई... जो मेरी है,
मुझसे हर बात पर रूठ जाती है,...

मन उसका चंचल इतना, कई दफा समझ नहीं पता,
क्यूँ रहती है वो बस मुझी से खफा, समझ नहीं पता,
जब किसी हसीं चेहरे का गुस्सा फूटता है तो,
तो दिल की सारी नशें टूट जाती है,
मुझे मलूँ है क्यूंकि, वो कोई... जो मेरी है,
मुझसे हर बात पर रूठ जाती है,...

जब जब वो मेरे मन से खफा रहती है,
तब तब खुशियाँ मेरे दामन से दफा रहती हैं,
कैसे करूंगा सामना उसका मिलने पर,
इसी सोच में मेरी कॉलेज की बस छूट जाती है,
ऐसा अक्सर होता है क्यूंकि, वो कोई... जो मेरी है,
मुझसे हर बात पर रूठ जाती है,...

रूठना और मनाना तो प्रेम के अमर फ़साने हैं,
ये तो किसी को रिझाने के सोचे समझे बहाने हैं,
पर जब इस बहानेबाजी में कुछ बातें दिल को छू जाती हैं
तो आँखों से आंसुओं की धार फूट जाती है,
मुझे मलूँ है क्यूंकि, वो कोई... जो मेरी है,
मुझसे हर बात पर रूठ जाती है,...

                                                          :- राहुल यादव 



Sunday, May 15, 2011

बस इतना कहना है

नादाँ हैं वो सब के सब जो कहते हैं,
कि वो मुझसे  प्यार नहीं करती ,
मेरी-उसकी मोहब्बत में बस फर्क है इतना ,
मैं इज़हार करता हूँ वो इज़हार नहीं करती....
                                                       :- राहुल यादव 

Sunday, February 27, 2011

Romanticism @ Rahul Yadav

  हर वक़्त दिल में, किसी का ख्याल रहता है,
  सारे जवाब ढूँढ लूँ,फिर भी इक सवाल रहता है,
  हम सिर्फ दो ही क्यूँ ही उसको निहारने को ,
  मेरी आँखों को बस यह ही मलाल रहता है..!!!




  मुझे मालूम नहीं, कि ये केसा प्रयास है,
  आँखों कि हर बूंद को तेरी ही प्यास है,
  सब कुछ तो तुझ पर कुर्बान कर चुका मैं,  
  फिर भी तुझे,कुछ और देने कि तलाश है..!!! 




  मेरा तुझसे - तेरा मुझसे, ये वादा है,
  मोहब्बत की मंज़िल को पाने का इरादा है,
  हम तो मोहब्बत की पवन सी मूरत हैं, 
   कि मैं उसका कान्हा हूँ,वो मेरी राधा है..!!! 




  मोहब्बत के तरानो में, मैं यह पेगाम लाया हूँ,
  रहेगा साथ जो तम में भी, तुम्हारा मैं वो साया हूँ,
  मुझे खोने बिछुड़ जाने की, तुम यूं फिकर न करना,  
   मैं उस खुदा का बंदा हूँ, तुम्हारे लिए ही आया हूँ..!!!  

Friday, February 25, 2011

मन का गीत


चलो मन में इक गीत गुनगुनाए हम,
क्यूँ न खुद को खुद में उलझाए हम,
भावनाओ के आवेग में ढल चुके हम,
बहुत हुआ चलो खुशियों को रिझाएँ हम..!!!


वक़्त किसी का गुलाम रहा है कब,
उसकी क्या गरज समझौता करे अब,
जन्म लिया है, भवसागर में जब,
तो क्यूँ लहरों से घबराएँ सब..!!!


ख्वाबों की चादर,मेहनत की पतवार,
बुलंद करें इरादे, झेलें हर वार,
लगा दो ताकत पूरी इस बार,
मंज़िल मिलने को व्याकुल उस पार..!!!


खुशियां कहाँ सबको मिलती हैं,
मिल जाएँ तो कहाँ ठहरती हैं,
मौका मिले तो मुस्कुरा लिया करो,
बिना मुस्कान कहा ज़िंदगी चलती है..!!!

Wednesday, February 23, 2011

खुद से ना हारूँ

खुद ही खुद से हार जाऊँ ये गवारा नहीं होता,
पर रोज-रोज यूं हार कर भी गुजारा नहीं होता,
लोगों और सपनों को अपना बनाना पड़ता है दोस्त,
कहने भर से ही, कोई हमारा नहीं होता..!!!

जब खुद से उम्मीद अब टूटने लगी,
कुछ कुछ ज़िंदगी हाथ से छूटने लगी,
हर रोज कुछ खो सा जाता है,
जो दुनियाँ हमने बनाई थी हुमें ही लूटने लगी..!!!

तब दिल पे हाथ रखा तो धड़कन ने एक हल दिया,
माँ-बाप का आशीर्वाद, मोहब्बत का बल दिया,
रख के भरोसा मन में,शरीर में ताकत लड़ने की,
मैंने अपनी मंज़िलें तय की, और चल दिया..!!!

मंज़िलों तक मुझे अपने रंग से, ढंग से जाना है,
पार कर हर तूफान, मझधार में भी गीत गाना है,
जियूं ज़िंदगी ऐसे कि खुद से कोई शिकायत ना रहे,
तब लोग भी कहने लगेंगे, अब तो राहुल का ज़माना है..!!!