Saturday, February 19, 2011

Romanticism @ Rahul Yadav

1.किसी को पाने कि चाहत में, मैं जीवन छोड़ आया हूँ,
  कि उसके प्रेम में बांधने को, हर बंधन तोड़ आया हूँ,
  मेरा कुछ भी नहीं मूझमे , जो है उसका ही जादू है
  कि मैं एक जादूगर्नी की धड़कन से,साँसे जोड़ आया हूँ..।





2.मेरे जज़्बात शब्दों में, मैं तुमसे केह नहीं सकता,
  मोहब्बत में जुदाई को, मैं अब सेह नहीं सकता,
  जुदा करने से पहले मौत ही देना मेरे मौला,
  कि वो ज़िंदगी मेरी, मैं उस बिन रेह नहीं सकता..।





3.ज़िंदगी एक महफिल है, जो हर शाम बदलती है,
  मोहब्बत कर के तो देखो,ज़िंदगी इससे संवरती है,
  कोई कुछ भी कहे फिर भी मुझे मालूम है इतना,
  कि दिल उसका धड़कता है तो साशें मेरी चलती हैं ...

2 comments:

  1. वाह वाह - क्या बात है - इस उम्र में अगर ये आपने लिखा है तो .... शुभ आशीष

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  2. आपकी सराहना के लिए धन्यवाद ..सर मेरे पास ऐसी पंक्तियाँ और भी हैं....

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